पंचेंदियजीवाणं तसजीवाणं च पच्चया सव्वे ।
पुढवीआदिसु पंचसु एइंदिय कहिद अडतीसा ॥३८॥
पंचेन्द्रियजीवानां त्रसजीवानां च प्रत्यया: सर्वे ।
पृथिव्यादिषु पंचसु एकेन्द्रिये कथिता अष्टात्रिंशत् ॥
अन्वयार्थ : पंचेन्द्रिय जीवों में और त्रस जीवों में सभी आस्रव पाये जाते हैं । पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पतिकायिक इन पाँच स्थावरों में एकेन्द्रिय के समान ३८ आस्रव होते हैं ॥३८॥