+ अवग्रह-नियम लेनेवाले की कथा -
अवग्रह-नियम लेनेवाले की कथा

  कथा 

कथा :

पुण्य कारण जिन-भगवान् के चरणों को नमस्कार कर उपधान-अवग्रह की अर्थात् यह काम जब तक न होगा तब-तक मैं ऐसी प्रतिज्ञा करता हूँ, इस प्रकार का नियम कर जिसने फल प्राप्त किया, उसकी कथा लिखी जाती है, जो सुख की देनेवाली है ।

अहिछत्रपुर के राजा वसुपाल बड़े बुद्धिमान् थे । जैन-धर्म पर उनकी बड़ी श्रद्धा थी । उनकी रानी का नाम वसुमती था । वसुमती भी अपने स्वामी के अनुरूप् बुद्धिमती और धर्म से प्रेम करने वाली थी । वसुपाल ने एक बड़ा ही विशाल और सुन्दर ‘सहस्त्रकूट’ नाम का जिन-मन्दिर बनवाया । उसमें उन्होंने श्री पार्श्वनाथ भगवान् की प्रतिमा विराजमान की । राजा ने प्रतिमा पर लेप चढ़ाने को एक अच्छे हुशियार चित्रकार को बुलाया और प्रतिमा पर लेप चढ़ाने को उससे कहा । राजाज्ञा पाकर चित्रकार ने प्रतिमा पर बहुत सुन्दरता से लेप चढ़ाया । पर रात होने पर वह लेप प्रतिमा पर से गिर पड़ा । दूसरे दिन फिर ऐसा ही किया गया । रात में वह गिर पड़ा । गर्ज यह कि वह दिन में लेप लगाता और रात में वह गिर पड़ता । इस तरह उसे कई दिन बीत गये । ऐसा क्यों होता है, इसका उसे कुछ भी कारण न जान पड़ा । उससे वह तथा राजा वगैरह बड़े दुखी हुए । बात असल में यह थी कि लेपकार मांस खानेवाला था । इसलिए उसकी अपवित्रता-से प्रतिमा पर लेप न ठहरता था । तब उस लेपकार को एक मुनि द्वारा ज्ञान हुआ कि प्रतिमा अतिशय वाली है, कोर्इ शासन-देवी या देव उसकी रक्षा में सदा नियुक्त रहते हैं । इसलिऐ जबतक यह कार्य पूरा हो तबतक तुझे मांस के न खाने का व्रत लेना चाहिये । लेपकार ने वैसा ही किया । मुनि-राज के पास उसने मांस न खाने का नियम लिया । इसके बाद जब उसने दूसरे दिन लेप किया तो अबकी बार वह ठहर गया । सच है, व्रती पुरूषों के कार्य की सिद्धि होती ही है । तब राजा ने अच्छे-अच्छे वस्त्राभूषण देकर चित्रकार का बड़ा आदर-सत्कार किया । जिस तरह इस लेपकार ने अपने कार्य की सिद्धि के लिए नियम किया उसीप्रकार और-और लोगों को तथा मुनियों को भी ज्ञान-प्रचार, शासन-प्रभावना आदि कामों में अवग्रह या प्रतिमा करना चाहिए ।

वह जिनेन्द्र भगवान् का उपदेश किया ज्ञानरूपी समुद्र मुझे भी केवलज्ञानी-सर्वज्ञ बनावे, जो अत्यन्त पवित्र साधुओं द्वारा आत्म-सुख की प्राप्ति के लिए सेवन किया जाता है और देव, विद्याधर, चक्रवर्ती आदि बड़े-बड़े महापुरूष जिसे भक्ति से पूजते हैं ।