+ ऐरावत हाथी -
ऐरावत हाथी

  कथा 

कथा :

(सौधर्म इन्द्र जिस हाथी पर आरूढ़ होकर आते हैं, उसकी क्या विशेषता है, उसका भी थोड़ा-सा ज्ञान कर लें)

सौधर्म इन्द्र जिस हाथी पर चढकर आते हैं, वह देवलोक में ही रहनेवाले अभियोग जाति का देव है, जो सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से अपनी विक्रिया द्वारा ही अति मनोहर हाथी का रूप धारण करके आता है। उसके बत्तीस मुख होते हैं, एक-एक मुख में आठ-आठ दाँत होते हैं, एक-एक दाँत पर एक-एक कमलिनी के आश्रय बत्तीस-बत्तीस कमल के फूल होते है। एक-एक कमल के बत्तीस-बत्तीस पत्ते होते हैं, उन प्रत्येक पत्तों पर बत्तीस-बत्तीस देवांगनाएँ नृत्य करती हैं, यह दृश्य अद्भुत होता है - ऐसा ऐरावत हाथी होता है, जिसपर आरूढ़ सौधर्म इन्द्र होता है, उसके आगे किन्नर देवियाँ मनोहर कंठ से श्री जिनेन्द्रदेव का जयगान करती हैं, बत्तीस व्यंतरेन्द्र चमर ढोरते रहते हैं, सिर पर मनोहर छत्र है, मनोहर शोभा धारण करनेवाली अप्सरायें साथ में चल रही है।

देव-देवियों द्वारा आकाश नील-रक्त आदि रंगों से रंग-बिरंगा रूप धारण किये हुए है। देवों का समूह त्रिलोकीनाथ की पूजन-सामग्री लिये हुए प्रभुभक्ति की भावना संजोये हुए आकाशमार्ग से गमन करता हुआ आ रहा था, वह ऐसा मालूम पड़ता है कि मानो देवों के समूह रूपी समुद्र में अनेक तरंगें उठ रही हैं।