ज्ञानमती :
सूक्ष्म वस्तु परमाणु आदि, अंतरित राम-रावण आदिक;;दूरवर्ति हिमवन सुमेरु ये, हैं प्रत्यक्ष किसी के नित;;क्योंकि ये अनुमेय कहे हैं, जैसे अग्न्यादिक अनुमेय;;इस अनुमान प्रमाण कथित, सर्वज्ञ व्यवस्था है स्वयमेव
सूक्ष्म, अन्तरित और दूरवर्ती पदार्थ किसी न किसी के प्रत्यक्ष अवश्य हैं क्योंकि वे अनुमान-ज्ञान के विषय हैं जैसे अग्नि आदि, इस प्रकार से सर्वज्ञ सिद्धि होती है ।
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