ज्ञानमती :
यदि सब वस्तु अभावरूप हैं, शून्यवाद जन के मत में;;तब तो भाव-पदारथ किंचित्, नहिं प्रतिभासित हों जग में;;ज्ञान और आगम भी किंचित्, नहिं प्रमाण होंगे तब तो;;कैसे अपने मत का साधन, परमत दूषण किससे हो
हे भगवन् ! पदार्थ का सर्वथा अपलाप करने वाले अभावैकांतवादी माध्यमिक-बौद्धों के यहाँ भी ज्ञान एवं वाक्य भी नहीं रहेंगे और पुन: बोध-वाक्यों की प्रमाणता न होने से वे लोग स्वपक्ष का साधन और परपक्ष का दूषण भी कैसे कर सकेंगे ?जब किसी वस्तु का सद्भाव ही नहीं है, सभी वस्तुओं का अभाव ही अभाव है, तब तो स्वार्थानुमान रूप ज्ञान एवं आगम आदि भी कहाँ रहेंगे ? और जब किसी वस्तु का ज्ञान, वचनों से उनका प्रतिपादन ही नहीं रहेगा, तब अपने शून्यवाद का वर्णन भी वैâसे किया जावेगा और अस्तित्ववादियों के तत्त्वों में दूषण भी कैसे दिया जावेगा ? |