ज्ञानमती :
वस्तु सदा विधिप्रतिषेधात्मक, है विशेष्य धर्मी विख्यात;;क्योंकि शब्द के गोचर है वह, सत् असत् रूप जग ख्यात;;यथा-साध्य-अग्नी का साधन, धूम अग्नि का हेतू है;;वही अपेक्षा से हेतू भी, जल के लिए अहेतू है
शब्द के विषयभूत विशेष्य-जीवादि समस्त पदार्थ विधि एवं प्रतिषेध इन दोनों धर्मस्वरूप हैं, जैसे कि साध्य का धर्म अपेक्षा से हेतु एवं अहेतु भी होता है ॥
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