ज्ञानमती :
नय में निपुण जनों को नित ही, एक अनेक विकल्पों में;;नित्य क्षणिक आदिक में भी ये, सप्तभंग कर लेने हैं;;सुनय विवक्षा के द्वारा, प्रत्येक धर्म में सुघटित है;;सप्तभंग प्रक्रिया विधी यह, जिनमत में ही वर्णित है
नयों की योजना करने में कुशल स्याद्वादी को आगे इसी प्रकार से एक और अनेक आदि धर्मों में भी इस सप्तभंगी प्रक्रिया को द्रव्यार्थिक एवं पर्यायार्थिक नयों के अनुसार योजित कर लेना चाहिए ।
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