ज्ञानमती :
यदि अद्वैतरूप है सब जग, यह एकांत लिया जावे;;तब तो कारक और क्रिया का, भेद दिखे वह नहिं पावे;;दिखता है साक्षात् भेद जो, वह भी है विरुद्ध होगा;;क्योंकि एक ही ब्रह्मा ही, निज से उत्पन्न नहीं होता
ब्रह्माद्वैत, शब्दाद्वैत, ज्ञानाद्वैत, चित्राद्वैत आदि अद्वैत एकांत पक्ष में भी कारक और क्रियाओं का देखा गया भेद विरोध को प्राप्त होता है, क्योंकि कोई भी एक (ब्रह्म) अपने से ही आप उत्पन्न नहीं होता है ।
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