ज्ञानमती :
यदि एकत्व नहीं मानो, संतानरूप अन्वय कैसा?;;नहिं होवे समुदाय सदृशता, नहिं परलोक गमन होगा;;बाल-वृद्ध पर्याय अनेकों, नहीं घटेंगी जो निर्बाध;;क्षणिकैकांत पक्ष में क्षण-क्षण, में होता है सब कुछ नाश
एकत्व का सर्वथा निह्नव करने पर निरंकुश-सकल बाधक रहित अस्खलितरूप से प्रमाण प्रसिद्ध संतान, समुदाय, साधम्र्य, परलोक तथा दिये हुए को लेना आदि ये सब व्यवहार सिद्ध नहीं हो सकते हैं।
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