+ सभी वस्तुएँ एकत्व और पृथक्त्व रूप केसे हैं ? -
सत्सामान्यात्तु सर्वैक्यं, पृथग्द्रव्यादिभेदत:
भेदाभेदविवक्षाया-मसाधारण-हेतुवत् ॥34॥
अन्वयार्थ : [सत्सामान्यात् तु सर्वैक्यं द्रव्यादिभेदत: पृथक्] सत् सामान्य की अपेक्षा से सभी वस्तु एकत्व रूप है एवं द्रव्य गुण आदि के भेद से सभी वस्तु भिन्न-भिन्न हैं। भेदाभेदविवक्षायां असाधारण-हेतुवत्] जिस प्रकार असाधारण हेतु अभेद दृष्टि से एक और भेद दृष्टि से अनेक रूप हो जाता है, उसी प्रकार से सभी पदार्थ सत् रूप से अभेद विवक्षा करने पर एक रूप हैं एवं द्रव्य, गुण, पर्यायों के भेद की विवक्षा से भिन्न-भिन्न हैं।

  ज्ञानमती 

ज्ञानमती :


सत् सामान्य अपेक्षा जग में, सभी वस्तुएँ एकस्वरूप;;द्रव्य तथा गुण-पर्यय से सब, वस्तु पृथक् हैं भेदस्वरूप;;यथा असाधारण हेतू भी, भेदाभेद विवक्षा से;;है अनेक अरु एक उसी विधि, सब कुछ एक अनेक रहें
भेद और अभेद की विवक्षा में असाधारण हेतु की तरह सत्सामान्य की अपेक्षा से सभी जीवादि वस्तुओं में एकत्व है एवं द्रव्यादि के भेद की अपेक्षा पृथक्त्व भी है।