
ज्ञानमती :
यदि सर्वथा सभी वस्तु हैं, नित्य कहो तब क्या होगा;;हलन, चलन परिणमनरूप, विक्रिया कार्य केसे होगा;;कत्र्तादि कारक के पहले, ही अभाव होगा निश्चित;;ज्ञाता बिन फिर ज्ञान कहाँ, अरु कहाँ ज्ञान का फल सुघटित ?
नित्यत्वैकांत पक्ष में भी परिणमन स्वरूप एवं परिस्पंदरूप विविध क्रियाएँ नहीं हो सकती हैं क्योंकि कार्य की उत्पत्ति के पहले से ही कारक का अभाव है एवं कारक के अभाव में प्रमाण भी कहाँ रहेगा ? और उसका फल भी कहाँ रहेगा ?भावार्थ-जब सभी जीवादि पदार्थ सर्वथा नित्य हैं, तब उनमें किसी भी प्रकार का परिणमन, एक अवस्था से दूसरी अवस्था को प्राप्त करना आदि नहीं बन सकता है। कथंचित् अनित्य मानने से ही जीव का जन्म, मरण, बचपन से युवावस्था आदि परिवर्तन घटित नहीं होंगे, सर्वथा में नहीं बनेंगे। |