
ज्ञानमती :
नित्यैकांत पक्ष में शुभ अरु अशुभ क्रिया भी नहिं होवे;;नहिं होगा परलोकगमन फिर, सुख-दु:ख फल केसे होवे;; कर्मबंध अरु मोक्ष व्यवस्था, भी उनके मत में नहिं है;; हे भगवन्! जिनके तुम स्वामी, नहीं उन्हें सब दुर्घट है
सर्वथा नित्य पक्ष में पुण्य, पापरूप क्रिया नहीं हो सकती है। उसके अभाव में परलोक एवं सुख-दु:खादि फल भी केसे हो सकते हैं ? हे भगवन ्! जिनके आप नायक-स्वामी नहीं हैं उनके यहाँ बंध और मोक्ष भी नहीं हो सकते हैं।
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