
ज्ञानमती :
नाथ! आपके या श्रुतकेवलि मुनियों के भी वाक्यों में;;स्यात् शब्द है निपात् चूँकि, अर्थ साथ संबंधित है;;इसीलिए यह सब वाक्यों में, ‘अनेकांत’ का द्योतक है;;गम्य वस्तु के प्रती विशेषण, अर्थ विवक्षित सूचक है
हे भगवन्! श्रुत केवलियों के सिद्धान्त में एवं आप केवलज्ञानी के सिद्धांतानुसार ‘‘स्यात्’’ यह शब्द निपात सिद्ध है वाक्यों में अनेकांत काउद्योतन करने वाला है और गम्य-अर्थ के प्रति समर्थ विशेषण रूप है क्योंकि यह अपने अर्थ से रहित है।
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