
ज्ञानमती :
यदि मिथ्या एकांतों का, समुदाय हुआ वह मिथ्या ही;;तब तो सदा हमारे मत में, वह मिथ्या एकांत नहीं;;नय निरपेक्ष कहे मिथ्या हैं, नय सापेक्ष कहे सम्यक;;सुनय अर्थ क्रियाकारी हैं, उसका समुदय है सम्यक्
मिथ्याभूत एकांत का समुदाय यदि मिथ्यारूप ही है तब तो वह मिथ्या एकांत हम जैनियों के यहाँ नहीं है। हे भगवन्! आपके मत में निरपेक्ष नय मिथ्या हैं और सापेक्ष नय वस्तु हैं, अर्थक्रियाकारी हैं।
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