
यथा स एवायं देवदत्तः, गोसदृशो गवयः, गोविलक्षणो महिषः, इदमस्माद् दूरम्, वृक्षोऽयमित्यादि ॥6॥
अन्वयार्थ : [यथा] जैसे [सः] वह [एव] ही [अयम्] यह [देवदत्तः] देवदत्त है [गोसदृशः] गाय के समान [गवयः] नीलगाय है [गोविलक्षणः] गाय से विलक्षण [महिषः] भैंसा है [इदम्] यह [अस्मात्] इससे [दूरम्] दूर है [अयम्] यह [वृक्षः] वृक्ष है [इत्यादि] इत्यादि।
Meaning : Illustrations of recognition are: 'He is the same Devadatta;' 'This antelope is like that cow;' 'This buffalo is different from that cow;' 'That is far from this;' and 'This is a tree;' etc.
टीका