+ व्याप्तिज्ञान की प्रवृत्ति का प्रकार - -
इदमस्मिन्सत्येव भवत्यसति तु न भवत्येव ॥8॥
यथाऽग्नावेव धूमस्तदभावे न भवत्येवेति च ॥9॥
अन्वयार्थ : [इदम्] यह [अस्मिन्] इसके [सति] होने पर [एव] ही [भवति] होता है [तु] किन्तु [असति] नहीं होने पर [न] नहीं [एव] ही [भवति] होता है । [यथा] जैसे [अग्नौ] अग्नि के होने पर [एव] ही [धूम] धुआँ होता है [च] और [तदभावे] उसके अभाव में [न] नहीं [एव] ही [भवति] होता है, [इति] इस प्रकार (जानना)(यह साधनरूप वस्तु इस साध्यरूप वस्तु के होने पर ही होती है और साध्यरूप वस्तु के नहीं होने पर नहीं होती है जैसे- अग्नि के होने पर ही धूम होता है और अग्नि के अभाव में धूम नहीं होता है ।)
Meaning : Only in the presence of the object-to-be-proved (sādhya) can the instrumental-object (sādhana, hetu) be present, and in the absence the object-to-be-proved (sādhya) the instrumental-object (sādhana) must be absent. As: 'Only in the presence of the fire can the smoke be present, and in the absence of the fire the smoke must be absent.'

  टीका