+ धर्मादिक चार द्रव्‍यों के विशेष गुण -
इतरेषां प्रत्‍येकं त्रयो गुणाः ॥13॥
अन्वयार्थ : धर्म-द्रव्‍य, अधर्म-द्रव्‍य, आकाश-द्रव्‍य और काल-द्रव्‍य इन चारों द्रव्‍यों में तीन-तीन विशेष गुण पाये जाते हैं ।

  मुख्तार 

मुख्तार :


  • धर्म-द्रव्‍य में गतिहेतुत्‍व, अमूर्तत्‍व और अचेनत्‍व ये तीन विशेष गुण पाये जाते हैं ।
  • अधर्म द्रव्‍य में स्थितिहेतुत्‍व, अमूर्तत्‍व और अचेतनत्‍व ये तीन विशेष गुण पाये जाते हैं ।
  • आकाश द्रव्‍य में अवगाहनहेतुत्‍व, अमूर्तत्‍व और अचेतनत्‍व ये तीन विशेष गुण पाये जाते हैं ।
  • काल-द्रव्‍य में वर्तनाहेतुत्‍व, अमूर्तत्‍व तथा अचेतनत्‍व ये तीन विशेष गुण हैं ।


आगे अचेतनत्‍व आदि चार गुणों को सामान्‍य गुणों तथा विशेष गुणों में क्‍यों कहा है, इस शंका का परिहार करते है -