मुख्तार :
स्थूल, वचनगोचर, नाशवान और स्थिर पर्यायें व्यंजन-पर्यायें हैं । सूक्ष्म और प्रतिक्षण नाश होने वाली पर्यायें अर्थ-पर्यायें हैं । कुमति, कुश्रुत, कुअवधि, मति, श्रुत, अवधि और मन:पर्यय -- ये सात ज्ञान; चक्षु, अचक्षु और अवधि -- ये तीन दर्शन; ये सब जीव की विभाव-गुण-व्यंजनपर्यायें हैं ।
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