+ उत्तर -
प्रमाणनयविवक्षातः ॥33॥
अन्वयार्थ : प्रमाण और नय की विवक्षा के द्वारा उन इक्‍कीस स्‍वभावों के यथार्थ स्‍वरूप का ज्ञान होता है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :


प्रमाणनयैरधिगमः ॥त.सू.१/६॥


अर्थ – प्रमाण व नय के द्वारा वस्‍तु का ज्ञान होता है ।