पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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नयों और उपनयों के भेद
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इदानीमेतेषां भेदा उच्यन्ते ॥45॥
अन्वयार्थ :
अब उनके
(नयों और उपनयों के)
भेदों को कहते हैं ।
मुख्तार
मुख्तार :
अब उनके
(नयों और उपनयों के)
भेदों को कहते हैं ।