+ (उत्‍पाद-व्‍यय गौण) सत्ताग्राहक शुद्ध-द्रव्‍यार्थिकनय -
उत्‍पादव्‍ययगौणत्‍वेन सत्ताग्राहकः शुद्धद्रव्‍यार्थिको यथा द्रव्‍यं नित्‍यम् ॥48॥
अन्वयार्थ : उत्‍पाद-व्‍यय को गौण करके (अप्रधान करके) सत्ता (ध्रौव्‍य) को ग्रहण करने वाली शुद्ध द्रव्‍यार्थिकनय है, जैसे -- द्रव्‍य नित्‍य है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :


उप्‍पादवयं गौणं किच्‍चा जो गहइ केवला सत्ता ।
भण्‍णइ सो सुद्धणओ इह सत्तागाहओ समए ॥न.च.१९॥
अर्थ – उत्‍पाद-व्‍यय को गौण करके मात्र ध्रुव को ग्रहण करने वाला नय आगम में सत्ताग्राहक शुद्ध नय है ।