पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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(उत्पाद-व्यय गौण) सत्ताग्राहक शुद्ध-द्रव्यार्थिकनय
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उत्पादव्ययगौणत्वेन सत्ताग्राहकः शुद्धद्रव्यार्थिको यथा द्रव्यं नित्यम् ॥48॥
अन्वयार्थ :
उत्पाद-व्यय को गौण करके
(अप्रधान करके)
सत्ता
(ध्रौव्य)
को ग्रहण करने वाली शुद्ध द्रव्यार्थिकनय है, जैसे -- द्रव्य नित्य है ।
मुख्तार
मुख्तार :
उप्पादवयं गौणं किच्चा जो गहइ केवला सत्ता ।
भण्णइ सो सुद्धणओ इह सत्तागाहओ समए ॥न.च.१९॥
अर्थ –
उत्पाद-व्यय को गौण करके मात्र ध्रुव को ग्रहण करने वाला नय आगम में सत्ताग्राहक शुद्ध नय है ।