+ सूक्ष्‍म ऋजुसूत्रनय -
सूक्ष्‍मर्जुसूत्रो यथा एकसमयावस्‍थायी पर्याय: ॥74॥
अन्वयार्थ : जो नय एक समयवर्ती पर्याय को विषय करता है वह सूक्ष्‍म-ऋजुसूत्र नय है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

प्राकृत नयचक्र में भी सूक्ष्‍म ऋजूसूत्रनय का स्‍वरूप निम्‍न प्रकार कहा है --

जो एयसमयवट्टी गेहइ दव्‍वे धुवत्तपज्‍जाओ ।
सो रिउसुत्ते सुहुमो सव्‍वं सद्दं जहा खणियं ॥प्रा.न.च.२११/७६॥
अर्थ – जो नय द्रव्‍य में एक समयवर्ती पर्याय को ग्रहण करता है, वह सूक्ष्‍म ऋजुसूत्र नय है । जैसे -- शब्‍द क्षणिक है ।

संस्‍कृत नयचक्र में भी कहा है --

द्रव्‍ये गृहाति पर्यायं ध्रुवं समयमात्रिकं ।
ऋजुसूत्राभिध: सूक्ष्‍मः स सर्व क्षणिकं यथा ॥सं.न.च.१८/४२॥
द्रव्‍य में समयमात्र रहने वाली पर्याय को जो नय ग्रहण करती है, वह सूक्ष्‍म ऋजुसूत्रनय कही गई है । जैसे सर्व क्षणिक है ।

प्रतिसमय प्रवर्तमानार्थपर्याये वस्‍तुपरिणमनमित्‍येषः सूक्ष्‍म-ऋजुसूत्र नयो भवति । (/१६) अर्थपर्यायापेक्षया समयमात्रं ॥१७॥
अर्थ – प्रति समय प्रवर्तमान अर्थ-पर्याय में वस्‍तु-परिणमन को विषय करने वाला सूक्ष्‍म ऋजुसूत्र नय है । अर्थ-पर्याय की अपेक्षा समयमात्र काल है ।

स्‍थूल ऋजुसूत्रनय का स्‍वरूप --