मुख्तार :
सूत्र ४१ की टीका में एवंभूत नय का स्वरूप सविस्तार कहा जा चुका है । आगे सूत्र २०२ में भी इसका स्वरूप कहा जाएगा । द्रव्यार्थिक नय के १० भेद, पर्यायार्थिक नय के ६ भेद, नैगम नय के ३ भेद, संग्रहनय के २ भेद, व्यवहार नय के २ भेद, ऋजुसूत्र नय के २ भेद, शब्द नय, समभिरूढनय और एवंभूतनय ये तीन, इस प्रकार नय के २८ भेदों का कथन हुआ । |