पं-रत्नचन्द-मुख्तार
+
उपनय के भेद
-
उपनयभेदा उच्यन्ते ॥80॥
अन्वयार्थ :
उपनय के भेदों को कहते हैं ।
मुख्तार
मुख्तार :
उपनय का लक्षण सूत्र ४३ में कहा जा चुका है । उसके तीन मूल भेद हैं -१. सद्भूत, २. असद्भूत, ३. उपचरित असद्भूत व्यवहारनय ।