मुख्तार :
सूत्र ४४ में उपनय के तीन भेद बतलाये थे - १. सद्भूत व्यवहारनय, २. असद्भूत व्यवहारनय, ३. उपचरित असद्भूत व्यवहार-नय । इनमें से सर्वप्रथम सद्भूत व्यवहारनय के भेदों को कहते हैं । व्यवहारनय का लक्षण तथा सद्भूत व्यवहारनय का लक्षण सूत्र ४४ की टीका में कहा जा चुका है, आगे भी सूत्र २०५ व २०६ में कहेंगे । शुद्धसद्भूत और अशुद्भ-सद्भूत के भेद से सद्भूत व्यवहारनय दो प्रकार की है । |