
मुख्तार :
संज्ञालक्षणप्रयोजनादिभिर्भित्त्वा अशुद्धद्रव्ये गुणगुणि-विभागैकलक्षणं कथयन् अशुद्धसद्भूतव्यवहारोपनयः । (सं.न.च.२१) अर्थ – संज्ञा, लक्षण, प्रयोजन के द्वारा भेद करके अशुद्ध द्रव्य में गुण और गुणी और गुणी के विभाग रूप मुख्य लक्षण को कहने वाला अशुद्ध-सद्भूतव्यवहार-नय है । ॥ इस प्रकार सद्भूत-व्यवहारनय के दोनों भेदों का कथन हुआ ॥ |