+ स्‍वजाति-असद्भूत-व्‍यवहार-उपनय -
स्‍वजात्‍यसद्भूतव्‍यवहारो यथा परमाणुर्बहुप्रदेशीति कथन-मित्‍यादि ॥85॥
अन्वयार्थ : स्‍वजाति-असद्भूत-व्‍यवहारनय, जैसे -- परमाणु को बहुप्रदेशी कहना, इत्‍यादि ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

जो नय स्‍वजातीय द्रव्‍यादिक में स्‍वजातीय द्रव्‍यादि के सम्‍बन्‍ध से होने वाले धर्म को आरोपण करता है वह स्‍वजात्‍यसद्भूत-व्‍यवहारनय है ।

जैसे - परमाणु बहुप्रदेशी है । परमाणु अन्‍य परमाणुओं के सम्‍बन्‍ध से बहुप्रदेशी हो सकता है । यहाँ पर स्‍वजातीय द्रव्‍य में स्‍वजातीय द्रव्‍य के सम्‍बन्‍ध से होने वाली विभाव-पर्याय का आरोपण किया गया है । कहा भी है --

अणुरेकप्रदेशोपि येनानेकप्रदेशकः ।
वाच्‍यो भवेदसद्भूतो व्‍यवहारः स भण्‍यते ॥५सं.न.च.४७॥
अर्थ – जिसके द्वारा अणु एकप्रदेशी होने पर भी बहुप्रदेशी बतलाया जाता है वह भी असद्भूत-व्‍यवहारनय है ।

संस्‍कृत नयचक्र में स्‍वजात्‍यसद्भूत-व्‍यवहारनय का कथन इस प्रकार किया गया है --

पुद्गलद्रव्‍यस्‍य घटपटादिसम्‍बन्‍धप्रबन्‍धपरिणतिविशेषकथकः स्‍वजात्‍यसद्भूतव्‍यवहारोपनयः । .....स्‍कंधरूपस्‍वरूपेषु पुद्गलस्त्विति भाष्‍यते, इत्‍यसद्भूतरूपोसौ व्‍यवहारस्‍वजातिकः ॥सं.न.च.२२॥
अर्थ – घट वस्‍त्र इत्‍यादिक सम्‍बन्‍धी रचना की परिणति विशेष को पुद्गल द्रव्‍य के बतलाने वाला स्‍वजात्‍यसद्भूत व्‍यवहार उपनय है । अथवा स्‍कन्‍धरूप निजपर्यायों में पुद्गल है इस प्रकार का कथन करने वाला स्‍वजाति से असद्भूत व्‍यवहाररूप स्‍वजात्यासद्भूत व्‍यवहारोपनय है ।