
मुख्तार :
सिद्धजीव, धर्म-द्रव्य, अधर्म-द्रव्य, आकाश-द्रव्य, काल-द्रव्य ये अमूर्तिक हैं । इनमें स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण नहीं पाया जाता है और पुद्गल द्रव्य से बंधे हुए भी नहीं हैं, इसलिये असद्भूत व्यवहारनय से भी इनके मूर्तपना नहीं है । ॥ इस प्रकार गुणों की व्युत्पत्ति का कथन हुआ ॥ |