
मुख्तार :
जीव का चेतन स्वभाव है । चेतन स्वभाव से कभी च्युत नहीं होना जीव का अस्ति-स्वभाव है । यदि जीव चेतन-स्वभाव से च्युत हो जावे तो जीव का अस्तित्व ही समाप्त हो जावेगा । स्व का होना या स्व के द्वारा होना स्वभाव है । लाभ का अर्थ व्याप्ति है । |