पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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नास्ति-स्वभाव
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परस्वरूपेणाभावान्नास्तिस्वभाव: ॥107॥
अन्वयार्थ :
पर-स्वरूप नहीं होना नास्ति स्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
परस्वरूपेणाभावत्वान्नास्तिस्वभावं ॥सं.न.च.६१॥
अर्थ –
पर-स्वरूप की अपेक्षा अभाव होने से नास्ति-स्वभाव है ।
सूत्र में 'अभावात्' शब्द का अर्थ अभवनात् है ।