अन्वयार्थ : अपनी अपनी नाना पर्यायों में 'यह वही है' इस प्रकार द्रव्य की प्राप्ति 'नित्य-स्वभाव' है ।
मुख्तार
मुख्तार :
ध्रुवत्व अंश की अपेक्षा से अथवा सामान्य अंश की अपेक्षा से द्रव्य नित्य स्वभावी है जो द्रव्यार्थिक नय का विषय है । अर्थात् द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा द्रव्य नित्य है ।