
मुख्तार :
एक ही द्रव्य गुणों, पर्यायों और स्वभावों का आधार है । यद्यपि आधार एक है किन्तु आधेय अनेक हैं । अत: आधेय की अपेक्षा से अथवा विशेषों की अपेक्षा से द्रव्य अनेक स्वभावी है । स्यादनेक इति विशेषरूपेणैव कुर्यात् ॥सं.न.च.६५॥
अर्थ – विशेष की अपेक्षा अनेक स्वभाव है ।
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