+ परम-स्‍वभाव -
पारिणामिकभावप्रधानत्‍वेन परमस्‍वभाव: ॥116॥
अन्वयार्थ : पारिणामिक भाव की प्रधानता से परमस्‍वभाव है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

अपने स्‍वभाव से रहना या होना पारिणामिक भाव है । उस पारिणामिक भाव की मुख्‍यता से परम-स्‍वभाव है ।

॥ इस प्रकार से सामान्‍य स्‍वभावों का निरूपण हुआ ॥