प्रदेशादिगुणानां व्युत्पत्तिश्चेत्तनादि विशेषस्वभावानां च व्युत्पत्तिर्निगदिता ॥117॥
अन्वयार्थ : प्रदेश आदि गुणों की व्युत्पत्ति तथा चेतनादि विशेष स्वभावों की व्युत्पत्ति कही गई ।
मुख्तार
मुख्तार :
सूत्र ९४ से यहां तक ११ सामान्य-स्वभावों की; चेतन, अचेतन, मूर्त, अमूर्त व प्रदेश -- विशेष स्वभावों की; तथा प्रदेशत्व आदि गुणों की व्युत्पत्ति कही गई ।