अन्वयार्थ : स्वद्रव्य आदि चतुष्टय की अपेक्षा गुण द्रव्य भी हो जाते हैं ।
मुख्तार
मुख्तार :
द्रव्य का चतुष्टय और गुण का चतुष्टय एक है । अत: गुण द्रव्य भी हो जाते हैं । जैसे -- चेतन-द्रव्य, अचेतन-द्रव्य, मूर्त-द्रव्य, अमूर्त-द्रव्य इत्यादि ।
अब क्रम-प्राप्त विभाव-स्वभाव की व्युत्पत्ति --