+ अन्‍य द्रव्‍यों में भी उपचरित-स्‍वभाव -
एवमितरेषां द्रव्‍याणामुपचारो यथासंभवो ज्ञेय: ॥125॥
अन्वयार्थ : इसी प्रकार अन्‍य द्रव्‍यों में भी यथासम्‍भव उपचरित-स्‍वभाव जानना चाहिये ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

धर्म-द्रव्‍य, अधर्म-द्रव्‍य, आकाश-द्रव्‍य और काल-द्रव्‍य इन चार में उपचरित स्‍वभाव नहीं है (सूत्र ३० व ३१) । मात्र जीव और पुद्गल इन दो द्रव्‍यों में उपचरित-स्‍वभाव होता है ।

॥ इस प्रकार विशेष स्‍वभावों का निरूपण हुआ ॥