अन्वयार्थ : सर्वथा नित्यरूप मानने पर पदार्थ एकरूप हो जायगा । एकरूप होने पर अर्थक्रियाकारित्व का अभाव हो जायेगा और अर्थक्रियाकारित्व के अभाव में पदार्थ का ही अभाव हो जायगा ।
मुख्तार
मुख्तार :
जिस वस्तु से किसी भी कार्य की सिद्धि नहीं होती अर्थात् जिसमें अर्थक्रियाकारिपना नहीं है, वह वस्तु नहीं है । अर्थक्रियाकारिपना वस्तु का धर्म है, क्योंकि उससे उत्तर पर्याय की सिद्धि होती है ।