
मुख्तार :
सामान्य आधार है और विशेष (पर्यायें) आधेय हैं । यदि केवल विशेषरूप अर्थात् अनेकरूप ही माना जाय तो विशेष (पर्यायों) का आधार जो सामान्य, उसका अभाव हो जाने से विशेष निराधार रह जायेंगे और आधार-आधेय सम्बन्ध का भी अभाव हो जायेगा । सामान्य रूप आधार के अभाव में विशेषरूप आधेयों का भी अभाव हो जायेगा । इस प्रकार द्रव्य का भी अभाव हो जायेगा । |