+ सर्वथा स्‍वभाव में दोष -
स्वभावस्वरूपस्यैकान्तेन संसाराभावः ॥137॥
अन्वयार्थ : एकान्‍त से सर्वथा स्‍वभावस्‍वरूप माना जाय तो संसार का ही अभाव हो जायगा ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

संसार विभाव-स्‍वरूप है । स्‍वभाव के एकान्‍त-पक्ष में विभाव को अवकाश नहीं । अतः विभाव-निरपेक्ष सर्वथा स्‍वभाव के मानने पर संसार का अभाव हो जायगा ।