+ सर्वथा विभाव में दोष -
विभावपक्षेऽपि मोक्षस्याप्यभावः ॥138॥
अन्वयार्थ : स्‍वभाव निरपेक्ष विभाव के मानने पर मोक्ष का भी अभाव हो जायगा ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

स्‍वभावरूप परिणमन मोक्ष है । एकान्‍त से सर्वथा विभाव स्‍वरूप मानने पर स्‍वभाव का अभाव हो जायगा । स्‍वभाव के अभाव में मोक्ष का भी अभाव हो जायगा ।