+ सर्वथा अचेतन में दोष -
तथा अचैतन्यपक्षेऽपि सकलचैतन्योच्छेदः स्यात्‌ ॥141॥
अन्वयार्थ : वैसे ही सर्वथा अचेतन पक्ष के मानने पर सम्‍पूर्ण चेतन का उच्‍छेद हो जायगा, क्‍योंकि केवल अचेतन ही माना गया है ।

  मुख्तार