+ सर्वथा एकप्रदेश में दोष -
एकप्रदेशसैकान्तेनाखण्डापरिपूर्णस्यात्मनः अनेककार्यकारित्वे एव हानिः स्यात् ॥144॥
अन्वयार्थ : सर्वथा एकप्रदेशस्‍वभाव के जानने पर स्‍वखण्‍डता से परिपूर्ण आत्‍मा के अनेक कार्यकारित्‍व का अभाव हो जायगा ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

अनेक प्रदेश का फल अनेक-कार्यकारित्‍व है । सर्वथा एकान्‍त से एकप्रदेश-स्‍वभाव मानने से अनेकप्रदेश-स्‍वभाव का अभाव हो जायगा जिससे अनेक-कार्यकारित्व की हानि हो जायगी ।