
नययोजनाधिकारः. स्वद्रव्यादिग्राहकेणास्ति स्वभावः ॥150॥
अन्वयार्थ : स्वद्रव्य, स्वक्षेत्र, स्वकाल, स्वभाव अर्थात् स्वचतुष्टय को ग्रहण करने वाले द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा से अस्तिस्वभाव है । क्योंकि स्वचतुष्टय की अपेक्षा अस्तिस्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
स्वद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र ५४ व १८८ में है ।
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