
परद्रव्यादिग्राहकेण नास्ति स्वभावः ॥151॥
अन्वयार्थ : परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाल, परभाव अर्थात् परचतुष्टय को ग्रहण करने वाले द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा नास्तिस्वभाव है, क्योंकि परचतुष्टय की अपेक्षा नास्तिस्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
परद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र ५५ व १८९ में है ।
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