+ नित्‍य-स्‍वभाव -
उत्पादव्ययगौणत्वेन सत्ताग्राहकेण नित्यस्वभावः ॥152॥
अन्वयार्थ : उत्‍पाद, व्‍यय को गौण करके ध्रौव्‍य को ग्रहण करने वाले शुद्ध-द्रव्‍यार्थिक नय की अपेक्षा नित्‍यस्‍वभाव है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

उत्‍पादव्‍ययगौणत्‍वेन सत्ताग्राहक शुद्धद्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र ४८ में हो चुका है ।