पं-रत्नचन्द-मुख्तार
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अनित्य-स्वभाव
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केनचित् पर्यायार्थिकनयेन अनित्यस्वभावः ॥153॥
अन्वयार्थ :
किसी पर्यायार्थिक नय की अपेक्षा अनित्यस्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
सत्तागौणत्वेनोत्पादव्ययग्राहकस्वभावोऽनित्यशुद्धपर्यायार्थिक नय का कथन सूत्र ६० में है । इस नय की अपेक्षा अनित्य-स्वभाव है ।