
मुख्तार :
भेदकल्पना-निरपेक्ष शुद्ध-द्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र ४९ में है । उस सूत्र में कहा है -- 'निजगुणपर्यायस्वभावाद् द्रव्यमभिन्नम् ।' अर्थात् निज गुण, पर्याय और स्वभाव से द्रव्य अभिन्न है । अतः इस नय की दृष्टि से गुण-गुणी में, पर्याय-पर्यायी में तथा स्वभाव-स्वभावी में अभेद है । अर्थात् प्रदेश-भेद नहीं है । |