अन्वयार्थ : परमभावग्राहक द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा कर्म, नोकर्म के मूर्त-स्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
परमभावग्राहक द्रव्यार्थिक नय का कथन सूत्र १९० व ५६ में है । कर्म, नोकर्म पौद्गलिक हैं । मूर्त-स्वभाव पुद्गल का असाधारण गुण है । अतः कर्म, नोकर्म के मूर्त-स्वभाव परमभावग्राहक द्रव्यार्थिक नय का विषय है ।