अन्वयार्थ : परमभावग्राहक द्रव्यार्थिक-नय की अपेक्षा पुद्गल के अतिरिक्त जीव-द्रव्य, धर्म-द्रव्य अधर्म-द्रव्य, आकाश-द्रव्य और काल-द्रव्य के अमूर्त-स्वभाव है ।
मुख्तार
मुख्तार :
परमभावग्राहक द्रव्यार्थिककनय का कथन सूत्र ५६ व १९० में है । जीवद्रव्य, धर्म-द्रव्य, अधर्म-द्रव्य, आकाश-द्रव्य और काल-द्रव्य, इन पांच द्रव्यों में अमूर्तत्व निज-स्वभाव है अत: यह परमभावग्राहक द्रव्यार्थिकनय का विषय है ।