+ द्रव्यों का अमूर्त-स्‍वभाव -
परमभावग्राहकेण पुद्गलं विहायेतरेषाममूर्तस्वभावः ॥165॥
अन्वयार्थ : परमभावग्राहक द्रव्‍यार्थिक-नय की अपेक्षा पुद्गल के अतिरिक्‍त जीव-द्रव्‍य, धर्म-द्रव्‍य अधर्म-द्रव्‍य, आकाश-द्रव्‍य और काल-द्रव्‍य के अमूर्त-स्‍वभाव है ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

परमभावग्राहक द्रव्‍यार्थिककनय का कथन सूत्र ५६ व १९० में है । जीवद्रव्‍य, धर्म-द्रव्‍य, अधर्म-द्रव्‍य, आकाश-द्रव्‍य और काल-द्रव्‍य, इन पांच द्रव्‍यों में अमूर्तत्‍व निज-स्‍वभाव है अत: यह परमभावग्राहक द्रव्‍यार्थिकनय का विषय है ।