+ द्रव्यों का एकप्रदेश-स्‍वभाव -
भेदकल्पनानिरपेक्षेणेतरेषां चाखण्डत्वादेकप्रदेशस्वभावत्वम्‌ ॥168॥
अन्वयार्थ : भेदकल्‍पना-निरपेक्ष द्रव्‍यार्थिक-नय की अपेक्षा धर्म-द्रव्‍य, अधर्म-द्रव्‍य, आकाश-द्रव्‍य और जीव-द्रव्‍य के भी एकप्रदेश-स्‍वभाव है क्‍योंकि वे अखण्‍ड हैं ।

  मुख्तार 

मुख्तार :

भेद-कल्‍पनानिरपेक्ष द्रव्‍यार्थिकनय का कथन सूत्र ७९ में है । प्रदेश और प्रदेशवान् का भेद न करके धर्मादि द्रव्‍यों को अखण्‍डरूप से ग्रहण करने पर उनमें बहु-प्रदेशत्‍व गौण हो जाता है और वे अखण्ड एकरूप से ग्रहण होने पर उनमें एकप्रदेश-स्‍वभाव सिद्ध हो जाता है जो भेद-कल्‍पना-निरपेक्ष शुद्ध-द्रव्‍यार्थिकनय का विषय है ।